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Wednesday, February 2, 2011

mai aur mere tanhai

आवारा है गलियों में मैं और मेरी तन्हाई
जाये तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे है रुसवाई
मैं और मेरी तन्हाई

यह फूल से पहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रास्ते
मैं और मेरी तन्हाई

अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे
कातिल नजर आती है दुनिया की हाय!जैसे
रोती है मेरे दिल पर बजती हुई शहनाई
मैं और मेरी तन्हाई

हर रंग में यह दुनिया सौ रंग बदलती है
रो कर कभी हंसती है हंस कर कभी गाती है
यह प्यार की बाहें हैं या मौत की अंगड़ाई
मैं और मेरी तन्हाई

आकाश के माथे पर तारों का चारगवां है
पहलू में मेरे मगर मेरे जख्मों का गुल्स्तान है
आँखों से लहू टपकता है दामन में बहार आई
मैं और मेरी तन्हाई

1 comment:

anu said...

so touching..........