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Friday, September 21, 2018

कभी कभी सोचता हु की क्यों जिंदगी इतने आसन क्यों नहीं है! क्यों वोह नहीं होता जो हम चाहते है! क्यों जिंदगी इतने इम्तेहान लेती है! क्यों इतना संघर्ष करना पढता है? क्यों हमें दुसरो की चीजें जयादा पसंद आती है! क्यों  हम चाह कर भी  वह  नही  कर
वो सुर्ख लाल गुलाब से लब और तिरछी मदहोश निगाहें ....
इतने कम फ़ासलों पर तो, मयखाने भी नहीं होते जनाब।

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