अब मालूम हुआ के कोई राज़ था ,
तेरे हर बहाने के पीछे
तेरे रूठने के पीछे ,
तेरे मनाने के पीछे
ठोकर लगी तो जाना है
की और भी किस्सी थे
तेरे हर फसाने के पीछे
मैंने सोच था
तू हस्ती है ख़ुशी से साथ मेरे
अब जाना कुछ और ही बातें थी
तेरे मुस्कुराने के पीछे
कभी होंटों से इशारे
तो कभी आँखों को मीचे
ये ही सब तरिके थे तेरे
मुझको फ़साने के पीछे
तेरा गुस्से से मुझे समझाना
दरसल मजबूर करना होता था
हक जताने के पीछे
गर तू न कहती तो
मैं यकीन न करता
मैंने जाना है ये
तेरे बताने के पीछे
के मेरे जज्बातों से खेलना होता था
वो तेरा मुझे सिने से लगाने के पीछे
अब मालूम हुआ के कोई राज़ था ,
तेरे हर बहाने के पीछे ........
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