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Tuesday, April 27, 2010

Kaash

काश होते हम भी किसी के दिल का सुकूं,


काश हम भी किसी के दिल का करार होते,

खिलती किसी के लबों पे मुस्कान हमारे नाम के ज़िक्र से,

काश किसी की आंखों का हम इंतज़ार होते,



शाम ढले कोई ताकता राह हमारी भी,

काश हम भी किसी किसी के दिल में रहते,

हाथों मैं हमारे भी होता हाथ किसी का,

काश हम भी किसी की निगाहों में बसते,



हर सुबह कोई उठता देख के चेहरा हमारा,

काश हम भी किसी का सूरज होते,

होती जब सावन की पहली बारिश,

काश हम भी किसी की यादों मैं होते,



काश वो समझते दिल की बातें हमारी,

तो हम यह ग़ज़ल कभी न लिखते,

और जो लिखते कोई ग़ज़ल,

तो मोहोब्बत को "काश" न कहते.........

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